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परम पुज्य आयिका विविक्तश्री माताजी का अभिनंदन पेंढारी के यहाँ आगमन

भारत गौरव राष्ट्रसंत गणाचार्य श्री विरागसागऱजी महाराज की शिष्या परम पुज्य गुरुमाँ वात्सल प्रदात्री 105 श्री विविक्तश्री माताजी एवम 105 विकंठश्री माताजी संघ अभिनंदन पेंढारी के विनस पार्क शेगाव नाका के निवास स्थान पर विहार करते समय आगमन हुवा इस वक्त पेंढारी परीवार की औरसे उनके पाद प्रक्षालन करके आगवाणी की इस वक्त श्री विविक्तश्री माताजी ने उपस्थित जनसमुदाय को सबोधित करते हुये जैन धर्मके सत्य, अहिंसा अपरिग्रह, अचौर्य व क्षमा इस सिद्धांतो पर आधारित है इसलिये जैन समुदाय मे दान, त्याग, दया, तपस्या इनपर जोर दिया जाता है l गणाचार्य श्री विरागसागरजी महाराजजीने अठराह लिपियो मे वर्णमाला एवम बारहखडी को बनाया है जो आज तक कोई न कर पाया l आदिनाथ भगवान ने अपनी पुत्री ब्राम्ही के नाम पर ब्राम्ही लिपी बनाई l परंतु माताजी ने कहा की मेरे गुरु विरागसागरजी ने 18 लिपियोका निर्माण करना असंभव था ओ संभव कर दिया l इन लिपिको विध्यार्थी योके पाठयक्रम मे सामील कर पढाई जाय ऐसा मेरी इच्छा है l जो सरकार के सहयोग से ही संभव है l यह कार्य मैने अभिनंदन पेंढारी व उल्हास क्षीरसागर को सोपा है l दोनो उसके लिए प्रयत्नशील है l मै उनको आशीर्वाद देती हुं की दोनो इस प्रयास मे सफल हो प्रकाश भंडारी ने मगलाचरण से सुरुवात की कार्यक्रम का संचालन अभिनंदन पेंढारी ने किया इस समय अनिल सुराणा, अनिल पेंढारी, विनोद खडारे, भरत देवलसी, अमृत मुथा, पुरुषोत्तम मुंदडा,मनोज वालचाळे,प्रकाश बोकरिया, नितीन बन्नोरे, राजेश गुलालकरी, अजिक्य पेंढारी, गोवर्धन कोहळे, संगीता क्षीरसागर, त्रिकोटी,विनया देवलसी, वन्दना व स्मिता रायबागकार, माधुरी पेंढारी, अपर्णा गुलालकरी, कोमल गरिबे, अंजली पाठक वन्दना कधारी, अनिला, अमृता, मयुरी पेंढारी उपस्थित थे

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