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दिल्ली में अगर AAP और बीजेपी की बराबर सीटें आ गईं तो क्या होगा? जानें तब कैसे बनेगी सरकार

क्या होगा दिल्ली विधानसभा चुनाव में अगर भाजपा और AAP को बराबर सीटें मिले. ऐसे में फिर कौन बना पाएगा सरकार. चलिए आपको बताते हैं क्या होगी इस स्थिति के बाद की कवायत.

दिल्ली विधानसभा 2025 चुनावों में कल यानी 5 फरवरी को 70 विधानसभा सीटों पर वोटिंग की प्रक्रिया पूरी हो गई है. दिल्ली के करोड़ों मतदाताओं ने हजारों उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला कर दिया है. 8 फरवरी को दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित किए जाएंगे. एग्जिट पोल के आधार पर बात की जाए तो कुछ भाजपा की सरकार बनते दिखा रहे हैं.

तो वहीं कुछ लगातार तीसरी बार आम आदमी पार्टी की सरकार बनने की बात कह रहे हैं. फैसला क्या होगा यह तो 8 फरवरी को पता ही चल जाएगा. लेकिन क्या होगा अगर भाजपा और आम आदमी पार्टी को बराबर सीटें मिले. ऐसे में फिर कौन बना पाएगा सरकार. चलिए आपको बताते हैं क्या होगी इस स्थिति के बाद की कवायत.

AAP और बीजेपी की बराबर सीटें आ गईं तो क्या होगा?

विधानसभा में कुल 70 सीटें हैं. बहुमत का आंकड़ा छूने के लिए आधे से ज्यादा यानी कि किसी भी पार्टी को अपनी सरकार बनाने के लिए कम से कम 36 सीटोें की जरूरत होगी. एग्जिट पोल के आधार पर बात की जाए तो कांग्रेस का खाता खुलते भी नहीं दिख रहा है. सरकार बनाने की रस्साकशी भाजपा और आम आदमी पार्टी में नजर आ रही है. लेकिन क्या होगा जब दोनों ही पार्टियों को 35-35 सीटें हासिल हो. जबकि सरकार बनाने के लिए 36 सीटोें जरूरत है. या फिर मान लीजिए कांग्रेस या अन्य को दो सीटें मिल जाती हैं. और भाजपा और आम आदमी पार्टी को 34-34 सीटें मिलती हैं. तब भी ऐसी स्थिति में क्या होगा.

बन सकती है गठबंधन की सरकार?

सामान्य तौर पर अगर चुनावों में किसी एक पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता. तो सबसे करीबी और सबसे बेहतर विकल्प होता है. अन्य दलों का समर्थन लेकर गठबंधन की सरकार बनाना. जो कि फिलहाल केंद्र में भी मौजूद है. जैसे कि अगर आम आदमी पार्टी को बहुमत के लिए कुछ सीटें चाहिए. तो कांग्रेस या अन्य से हाथ मिला सकती है. और गठबंधन की सरकार बन सकती है. वही लेकिन अगर मामला 35-35 की बराबरी पर आ जाता है. तो ऐसा हो पाना फिर मुश्किल हो जाएगा. क्योंकि आम आदमी पार्टी और भाजपा दोनों ही सरकार बनाने की मौके को भुनाना चाहेंगी.

लग जाएगा राष्ट्रपति शासन

अगर किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलता और गठबंधन की सरकार भी बहुमत शामिल साबित नहीं कर पाती. तो फिर ऐसी स्थिति में दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है. ऐसे केस में दिल्ली विधानसभा निलंबित कर दी जाएगी. और केंद्र सरकार की ओर से एक प्रतिनिधि के तौर पर उपराज्यपाल को दिल्ली का कार्यभार सौंप दिया जाएगा.

फिर से कराने होंगे चुनाव

अगर लंबे समय तक सरकार बनने की स्थिति नहीं सुलझती और कोई समाधान नहीं निकलता. तो फिर दिल्ली में दोबारा से चुनाव कराए जा सकते हैं. जैसा कि साल 2015 में हुआ था. जब आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन की सरकार नहीं चल पाई थी.

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